राहुल को मिली नई ज़िन्दगी पूरा प्रदेश खुशी से झूम उठा

जांजगीर मालखरौदा । बोरवेल में फंसे राहुल को आखिरकार 105 घण्टे रेस्क्यू के पश्चात सकुशल बाहर निकाल लिया गया। ऑपरेशन राहुल- हम होंगे कामयाब के साथ राहुल के बचाव के लिए लगभग 65 फीट नीचे गड्ढे में उतरी रेस्क्यू दल ने कड़ी मशक्कत के बाद राहुल को सुरक्षित बाहर निकाला। राहुल जैसे ही सुरंग से बाहर आया। उसने आँखे खोली और एक बार फिर दुनिया को देखा। यह क्षण सबके लिए खुशी का एक बड़ा पल था। पूरा इलाका राहुलमय हो गया।

 

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा बोरवेल में फसे राहुल को सुरक्षित निकालने के लिए जिला प्रशासन को विशेष निर्देश दिए गए थे। आखिरकार देश के सबसे बड़े रेस्क्यू अभियान को कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला के नेतृत्व में अंजाम दिया गया। सुरंग बनाने के रास्ते में बार-बार मजबूत चट्टान आ जाने से 4 दिन तक चले इस अभियान को रेस्क्यू दल ने अंजाम देकर मासूम राहुल को एक नई जिंदगी दी है। इस रेस्क्यू के सफल होने से देशभर में एक खुशी का माहौल बन गया।

राहुल को बाहर निकाले जाने के बाद मौके पर मौजूद चिकित्सा दल द्वारा प्राथमिक स्वास्थ्य जांच की गई। मुख्यमंत्री के निर्देश पर राहुल को तत्काल ही बेहतर उपचार के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाकर अपोलो अस्पताल बिलासपुर भेज गया। बहरहाल राहुल साहू के सकुशल बाहर निकाल लिए जाने से सभी ने राहत की सांस ली है।

 

जिले के अंतर्गत मालखरौदा ब्लॉक के ग्राम पिहरीद में 10 वर्षीय बालक राहुल साहू अपने घर के पास बाड़ी में खुले हुए बोरवेल में गिरकर फंस गया था। 10 जून को दोपहर लगभग 3 बजे अचानक घटी इस घटना की खबर मिलते ही जिला प्रशासन की टीम कलेक्टर जितेंद्र कुमार शुक्ला के नेतृत्व में तैनात हो गई। समय रहते ही ऑक्सीजन की व्यवस्था कर बच्चे तक पहुचाई गई। कैमरा लगाकर बच्चे की गतिविधियों पर नज़र रखने के साथ उनके स्वजन के माध्यम से बोरवेल में फसे राहुल पर नजर रखने के साथ उनका मनोबल बढाया जा रहा था। उसे जूस, केला और अन्य खाद्य सामग्रियां भी दी जा रही थी। विशेष कैमरे से पल-पल की निगरानी रखने के साथ ऑक्सीजन की सप्लाई भी की जा रही थी।
आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था और एम्बुलेंस भी तैनात किए गए थे। राज्य आपदा प्रबंधन टीम के अलावा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन(एनडीआरएफ) की टीम ओडिशा के कटक और भिलाई से आकर रेस्क्यू में जुटी थी। सेना के कर्नल चिन्मय पारीकअपने टीम के साथ इस मिशन में जुटे थे। रेस्क्यू से बच्चे को सकुशल निकालने के लिए हर सम्भव कोशिश की गई।

 

देश के सबसे बड़े रेस्क्यू के पहले दिन 10 जून की रात में ही राहुल को मैनुअल क्रेन के माध्यम से रस्सी से बाहर लाने की कोशिश की गई। राहुल द्वारा रस्सी को पकड़ने जैसी कोई प्रतिक्रिया नहीं दिए जाने के बाद परिजनों की सहमति और एनडीआरएफ के निर्णय के पश्चात तय किया गया कि बोरवेल के किनारे तक खुदाई कर रेस्क्यू किया जाए। रात लगभग 12 बजे से पुन: अलग-अलग मशीनों से खुदाई प्रारंभ की गई। लगभग 60 फीट की खुदाई किए जाने के पश्चात पहले रास्ता तैयार किया गया।

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